न जाने, इन नीगाहो को हुआ क्या,
जो दुनीया यूं इतनी बदरंग दीखती है,
चाहता हूँ,भर दूँ रंग सारे जीवन के ,
फीर भी न जाने, हर कण फीका फीका लगता है।
ये संगीत, शोर-शराबा सा लगता है ,
हर मीठी आवाज, कर्कश सी प्रतीत होती है,
हर खूबसूरत चीज,क्यों अजीब लगती है,
न जाने क्यों, आज सब अजीब लगता है।
क्यों, लोओग नही मान लेते है सत्य को,
और जीने नही देते है औरो को,
जब वो जीना नही चाहते ,हमारे साथ,
तो करप्या छोड़ दे, हमने अपने हाल।
हम थोड़े ही सही,पर हर हाल में खुश रह लेंगे,
जैसे भी है हम,सब गम सह लेंगे,
थोडी ही सही मीले गर,खुशी,
तो जीवन भर,उस्सी से जी लेंगे।
मेरा तो यंही मानना है,की,
आप अलग है तो,अलग ही रहे,
अपनी खुबीया, हो सके तो,अपने तक ही रखे,
गर हो सके तो कीसी तरह, कोई तारीफ़ के पूल यंहा न पहुंचे।
मुझे सारे के सारे,अपने से प्यारे है,
इनके लिए सब कुछ न्युचावर है,
मेरे सब कुछ,बहुत प्यारे है,
आज कहता हूँ तुमसे,सबसे बुरे तुम ही हमारे हो।
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1 comment:
yun akele zindage katthe nahi,\ek humsafer dhund lena chaheye\\Thokar to sbne khaye hai,\Kise ke julfoon ka kinara le lena chaheye
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